Add To collaction

शतरंज- उपन्यास भाग-3

*भाग-3*
*निकिता से बात*



सरिता और अभय के कमरे में चले जाते है। और ज़मीन पर बैठ कर रोते हुए स्नेहा की आँख कब लग जाती है उसे पता नही चलता। तभी स्नेहा का मोबाइल रिंग होता है और फ़ोन की घंटी से उसकी नींद खुलती है तब वह खुद को ज़मीन पर बैठी बैठी ही कुर्सी पर सिर रख कर सोता पाती है।

स्नेहा अपने आँसू पोंछती हुई कॉल रिसीव करती हैं।

फ़ोन पर दूसरी ओर स्नेहा की बेस्ट फ्रेंड निकिता थी।

निकिता (हँसती और स्नेहा को छेड़ती हुई), -"क्या मैडम जी! आपने तो बड़ी जल्दी फ़ोन उठा लिया। मुझे तो लगा था... मैंने सोचा आज तेरे फर्स्ट नाईट पर अगर मैं तुझे डिस्टर्ब ना करूँ तो लानत है मेरी दोस्ती पर। हा हा हा....

स्नेहा (ज़ोर ज़ोर से रोती हुई)-"निकिता...."

"अरे स्नेहा.. तू रो क्यों रही है.. सब ठीक है ना... और अभय किधर हैं?" -निकिता हैरानी से पूछती है।
स्नेहा, -"कुछ भी ठीक नही हैं यहाँ.. पता नही मेरे साथ क्या हो रहा है। यहाँ मुझे कुछ समझ नही आ रहा।"

"अरे स्नेहा तू क्या बोल रही है.. पहले तू रोना बंद कर और मुझे सारी बात बता कि आखिर हुआ क्या? तब मुझे कुछ समझ आएगा" -निकिता स्नेहा से बोलती है।

स्नेहा सारी बात निकिता को बताती है।

निकिता, स्नेहा की सारी बातें सुन कर चौक जाती है, 

-"स्नेहा.. ये क्या बोल रही है तू.... ऐसा कैसे हो सकता है।"

स्नेहा (रोती हुई), -"मैं क्या करूँ... मैंने पापा को फोन लगाया था पर उनका फ़ोन स्विच्ड ऑफ आ रहा था। और मम्मी ने कॉल रिसीव नही की।"

निकिता (स्नेहा को समझाती हुई), -"स्नेहा अंकल-आंटी शादी की भाग दौड़ में थक गए होंगे। आराम कर रहे होंगे तो हो सकता है फ़ोन स्विच्ड ऑफ कर दिया होगा। और अंकल की तबियत भी तो ठीक नही रहती। तू पहले अपने आप को संभाल और सुबह होने का इंतज़ार कर। मैं तुझसे सुबह बात करती हूँ.. और सुबह तू घर पर भी बात कर लेना।"

स्नेहा, -"हाँ.. तू सही बोल रही है।"
निकिता,- "चल अब मैं फ़ोन रखती हूं।"

स्नेहा फ़ोन कट कर के वहीं ज़मीन पर बैठी बैठी ही कुर्सी पर सिर रख कर सो जाती है। 




आगे की कहानी जानने के लिए जुड़े रहिए मेरे साथ...
©स्वाति चरण पहाड़ी





   24
9 Comments

Mithi . S

24-Sep-2022 10:38 AM

बेहतरीन रचना

Reply

Pallavi

22-Sep-2022 09:19 PM

Beautiful

Reply

Abeer

21-Sep-2022 07:44 PM

Very nice 👍

Reply